क्या होता है सुपर ब्लू ब्लड मून | जानें Super Blue Blood Moon के बारे में | Total Eclipse
जब
पूर्ण चन्द्र ग्रहण होता हो तो उस समय चन्द्र को "ब्लड मून" (Blood Moon) कहा जाता है. दरअसल सुपर ब्लू मून (Super Blue Moon) ; ब्लू मून (Blue Moon), सुपर मून (Super Moon) और पूर्ण ग्रहण (Total Eclipse) का संयोजन है और ये तीन दुर्लभ घटनाएं
हैं. ब्लड मून (Blood
Moon) की
विशेषता यह है कि सफेद रंग की बजाय यह लाल या घाड़े भूरे रंग का होता है.
क्या
आप जानते हैं कि "ब्लू मून" (Blue Moon) शब्द का उपयोग कब किया जाता है? जब पूर्णिमा एक महीने में दो बार आती
है और चांद पूरा निकलता है, लगभग 28
दिनों से कम समय में ऐसा होता है क्योंकि चन्द्रमा पृथ्वी की चारो और चक्कर लगाने
में लगभग 27 दिन लेता है. इसलिए, हम कह सकते हैं कि हर तीन साल में
अधिकतर ब्लू मून देखने को मिलता है. ब्लड मून की विशेषताओं पर चर्चा करने से पहले, हम ग्रहण क्या होता है पर अध्ययन
करेंगे?
ग्रहण
क्या है और कैसे होता है?
ग्रहण
एक खगोलीय अवस्था है जिसमें कोई खगोलिय पिंड जैसे ग्रह या उपग्रह किसी प्रकाश के
स्रोत जैसे सूर्य और दूसरे खगोलिय पिंड जैसे पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे प्रकाश
का कुछ समय के लिये अवरोध हो जाता है. मुख्य रूप से पृथ्वी के साथ जो ग्रहण होते
हैं वह इस प्रकार हैं:
चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) -
इस
ग्रहण में चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है. ऐसी स्थिती में चाँद पृथवी
की छाया से होकर गुजरता है. हम आपको बता दें कि ऐसा सिर्फ पूर्णिमा के दिन संभव
होता है.
सूर्यग्रहण
(Solar
Eclipse) - इस ग्रहण में चंद्रमा, सूर्य और पृथवी एक ही सीध में होते हैं और चंद्रमा, पृथवी और सूर्य के बीच होने की वजह से
चाँद की छाया पृथवी पर पड़ती है. ऐसा अक्सर अमावस्या के दिन होता है.
पूर्ण
ग्रहण (Total
Eclipse) - तब होता है जब खगोलिय पिंड जैसे पृथवी पर प्रकाश पूरी तरह अवरुद्ध हो
जाये.
आंशिक
ग्रहण (Partial
eclipse) - इस ग्रहण की स्थिती में प्रकाश का स्रोत पूरी तरह अवरुद्ध नहीं होता
है.
क्या
आप जानते हैं कि चन्द्र ग्रहण दो प्रकार का होता है: पूर्ण चन्द्र ग्रहण और आंशिक
चन्द्र ग्रहण. जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के ठीक विपरीत किनारे पर होते हैं तब
पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है. आंशिक चंद्र ग्रहण में, चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है और यह
सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर
करता है कि वे कैसे रेखांकित होते हैं.
चंद्रमा
को सुपर मून (Super
Moon) कब
कहा जाता है?
एक
सुपर मून (Super
Moon) तब
होता है जब चंद्रमा और धरती के बीच में दूरी सबसे कम हो जाती है. इसके साथ ही
पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है, जिसके बाद चांद की चमक काफी ज्यादा
होती है. क्या आप जानते हैं कि ऐसी स्थिती में चांद लगभग 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी तक ज्यादा चमकीला दिखता है.
ब्लू
मून (Blue Moon)
क्या
होता है?
जब
चंद्रग्रहण पर पूर्ण चंद्रमा दिखता है तो चांद की निचली सतह से नीले रंग की रोशनी
बिखरती है और तब चन्द्रमा को ब्लू मून (Blue Moon) कहते है.
चंद्रमा
लाल क्यों हो जाता है या इसे ब्लड मून (Blood Moon) के रूप में क्यों जाना जाता है?
जैसा
कि हम जानते हैं कि पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा चक्कर लगाता है और सूर्य के चारों
ओर पृथ्वी. चंद्रमा पृथ्वी के चारो और घुमने में लगभग 27 दिन का समय लेता है. इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की सापेक्ष स्थिति
बदलती है.
चंद्रग्रहण
के दौरान चंद्रमा का सुर्ख लाला हो जाने को ब्लड मून (Blood Moon) कहते हैं. ऐसा कब होता है? जब पृथ्वी की छाया पूरे चांद को ढक
देती है उसके बाद भी सूर्य की कुछ किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं. लेकिन चांद तक
पहुंचने के लिए उन्हें धरती के वायुमंडल से गुजरना पड़ता है. इसके कारण सूर्य की
किरणें बिखर जाती हैं. पृथ्वी के वायुमंडल से बिखर कर जब किरणें चांद की सतह पर
पड़ती हैं तो सतह पर एक लालिमा बिखेर देती हैं. जिससे चांद लाल रंग का दिखने लगता
है. क्या आप जानते हैं कि नासा के अनुसार हर साल मोटे तौर पर दो या चार चंद्र
ग्रहण होते हैं और प्रत्येक पृथ्वी से लगभग आधा दिखाई देते हैं?
तो
अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून क्या होते हैं और कैसे होते हैं.
No comments:
Post a Comment