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Thursday, November 1, 2018

जानें 10 खास बातें - सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा : Statue of Unity

80 फुट के पैर, 70 फुट के हाथ, ऊंचाई 600 फुट - सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा - जानें 10 खास बातें

What are the top ten things of Statue of Unity


#Statue of Unity
जानें 10 खास बातें - सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा : Statue of Unity
जानें 10 खास बातें - सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा : Statue of Unity



गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल( Vallabhbhai Patel) की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' (Statue of Unity) का प्रधानमंत्री मोदी 31 अक्टूबर को उनकी जयंती पर उद्घाटन करेंगे. जानिए 10 बातें.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है. प्रतिमा अपने आप में अनूठी है. इसके पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है.

इस मूर्ति का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है. देश-विदेश में अपनी शिल्प कला का लोहा मनवाने वाले राम वी. सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था. इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है. इसके अलावा वे बांबे आर्ट सोसायटी के लाइफ टाइम अचीवमेंट समेत अन्य पुरस्कार से भी नवाजे गए हैं.  वह इन दिनों मुंबई के समुंदर में लगने वाली शिवाजी की प्रतिमा की डिजाइन भी तैयार करने में जुटे हैं. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी.

चीन स्थित स्प्रिंग टेंपल की 153 मीटर ऊंची बुद्ध प्रतिमा के नाम अब तक सबसे ऊंची मूर्ति होने का रिकॉर्ड था. मगर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ने अब चीन में स्थापित इस मूर्ति को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया है. 182 मीटर ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का आकार न्यूयॉर्क के 93 मीटर उंचे 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' से दोगुना है.

मूर्ति बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने दावा किया कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और महज 33 माह के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है. जबकि  स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा. कंपनी के मुताबिक यह प्रतिमा न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊंची है.

सरदार पटेल की इस मूर्ति को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया. कंपनी के मुताबिक, कांसे की परत चढ़ाने के  आशिंक कार्य को छोड़ कर बाकी पूरा निर्माण देश में ही किया गया है. यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कंपनी ने कहा कि रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया.

 इस स्मारक की आधारशिला  31 अक्तूबर, 2013 को पटेल की 138 वीं वर्षगांठ के मौके पर रखी गई थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इसके लिये बीजेपी ने पूरे देश में लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया गया.

 सरदार पटेल की मुख्य प्रतिमा बनाने में1,347 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 235 करोड़ रुपये प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किये गये. वहीं 657 करोड़ रुपये निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अगले 15 साल तक ढांचे के रखरखाव पर खर्च किए किए जाएंगे. 83 करोड़ रुपये पुल के निर्माण पर खर्च किये गये.

बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने पटेल की प्रतिमा के अनावरण के मौके का पार्टी कार्यकर्ताओं को साक्षी बनाने के लिए ट्रेन से ले जाने की घोषणा की है. पार्टी ने बताया कि 'यूनिटी ट्रेन' नामक गाड़ी र वाराणसी से चलकर मिर्जापुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, रायबरेली, लखनऊ और झांसी होते हुए गुजरात पहुंचेगी.

सरदार पटेल की इस मूर्ति को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप भी हो चुके हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पटेल की प्रतिमा को मेड इन चाइना बताया था तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन पर निशाना भी साधा था. अमित शाह ने कहा था कि ऐसे समय में जब भारत एकजुट होकर भव्य ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का निर्माण कर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दे रहा है, कांग्रेस अध्यक्ष परियोजना को लेकर झूठी अफवाह फैलाने में लगे हैं, जो यह पूरी तरह से शर्मनाक है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान दौरे के दौरान भी भारतीयों से बातचीत के दौरान दुनिया की इस सबसे ऊंची मूर्ति का जिक्र कर चुके हैं. साथ ही उन्हें इस मूर्ति को देखने के लिए आमंत्रित भी कर चुके हैं. बताया जाता है कि मूर्ति के उद्घाटन समारोह के लिए गुजरात सरकार ने देश की तमाम राजनीतिक व अन्य हस्तियों को आमंत्रित किया है.

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धानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले के केवडियां में लौह पुरूष सरदार वल्‍लभभाई पटेल की प्रतिमा स्‍टेच्‍यू ऑफ यूनिटी राष्‍ट्र को समर्पित की। 182 मीटर ऊंची यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा- 


 दुनिया की ये सबसे ऊंची प्रतिमा पूरी दुनिया को हमारी भावी पीढियों को उस व्‍यक्ति के साहस, सामर्थ्‍य और संकल्‍प की याद दिलाती रहेगी जिसने मां भारती को खंड-खंड टुकड़ों में करने की जो साजिश को नाकाम करने का पवित्र कार्य किया है।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर सरदार पटेल ने भारत का एकीकरण न किया होता तो हमें सोमनाथ के दर्शन करने और गिर के जंगलों में शेर देखने या हैदराबाद के चार मीनार को देखने के लिए वीजा लेना पड़ता।

 कच्‍छ से लेकर कोहिमा तक, करगिल से ले करके कन्‍याकुमारी तक आज अगर बे-रोक-टोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से। उनके संकल्‍प से ही संभव हो पाया है। 


 श्री मोदी ने इस प्रतिमा को देश की इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक बताया। गुजरात के राज्‍यपाल ओ पी कोहली,  मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी और भाजपा प्रमुख अमित शाह भी इस अवसर पर मौजूद थे। 

 गुजरात में सरदार सरोवर बांध के पास छोटे से द्वीपसाधु बेट पर बनी स्‍टेच्‍यू ऑफ यूनिटी ऊंचाई मेंअमरीका के स्‍टेच्‍यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है।  

 श्री मोदी ने प्रतिमा के पास बनी वॉल ऑफ यूनिटी का भी अनावरण किया। ये दीवार विभिन्‍न राज्‍यों से लाई गई मिट्टी से बनाई गई है। 

 रिपोर्टरो(मीडिया)के द्वारा ये बताया गया है कि स्‍टेच्‍यू ऑफ यूनिटी के आसपास के क्षेत्र को पर्यटक स्‍थल के रूप में विकसित करने के लिए फूलों की घाटी और टैंट सिटी जैसी अनेक परियोजनाओं पर काम हुआ है।




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